शांति चाहते हैं, तो सदग्रन्थों का सहारा लेना पड़ेगा: सुन्दरराज जी | Rajpur Rohtas | Jansagar News |
शांति चाहते हैं,तो सदग्रंथों का सहारा लेना पड़ेगा.कहीं कोई संत मिल जाये,कथावाचक आ जाये,तो घंटा दो घंटा भागवत कथा सुन लेना चाहिये.सत्संग ऐसा चीज है कि अभी सुनिये,अभी उसका फल मिल जाता है.कलयुग में दोष युक्त को हीं समर्थवान कहा जाता है.भागवत कथा हीं कलिकाल के दोष को दूर करता है.
संसार में जन्म लेकर कोई बच्चा कैसा होगा,ये माता के गर्भकाल में हीं तय हो जाता है.महाभारत के युद्ध में अभिमन्यु मारा गया,तो अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा की इसके लिये दोषी कौन है ?मैं उसे जिंदा नहीं छोडूंगा.
श्रीकृष्ण मुस्कुराते हुये बोले की सुभद्रा दोषी है.श्रीकृष्ण कहा कि अभिमन्यु जब मां के गर्भ में था,तो चक्रव्यूह भेदन की कथा आप सुभद्रा को सुना रहे थे.सुभद्रा ने जितना सुना,अभिमन्यु सीख गया.जहा सुभद्रा सो गई,अभिमन्यु सो गया.परिणाम स्वरूप युद्ध में अभिमन्यु मारा गया.
उन्होंने कहा कि मां पर निर्भर करता है कि वह अपने बच्चे को सदाचारी बनाना चाहती है अथवा दुराचारी.गर्भकाल में मार्केट में घूमने वाली मां,डीजे कैसेट बजाकर डांस करने वाली,गलत सिनेमा व साहित्य देखने वाली मां का बच्चा कैसा हो सकता है ?
मां के गर्भ में बालक है और उसी दिन से अगर वह रामचरितमानस पढ़ना आरंभ कर दें.फिर देखो कि बालक कितना बड़ा ज्ञानी होगा,सदाचारी होगा,भगवत भक्त हो जायेगा.
उक्त बाते बुधवार को क्षेत्र के ग्राम बंधपा बजार पर आयोजित हनुमंत प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ में प्रवचन के दौरान तपोमूर्ति संत श्री सुन्दर राज स्वामी जी महाराज ने भक्तों के बीच मां के गर्भावस्था की महिमा बताते हुये कहा.
रजनीकांत तिवारी की रिपोर्ट .......