पटना — बिहार फुटबॉल संघ (Bihar Football Association) के सचिव इम्तियाज़ हुसैन पर आरटीआई (RTI) के माध्यम से उजागर हुए वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे हैं। आरटीआई के जवाब में ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) ने खुलासा किया है कि वर्ष 2014 से 2024 तक बिहार फुटबॉल संघ को लगभग 48 लाख रुपये का फंड जारी किया गया, जिसका हिसाब संघ के सचिव नहीं दे पा रहे हैं।
मुख्य आरोप:
फंड का गबन:
AIFF द्वारा जारी 48 लाख रुपये का उपयोग कहाँ हुआ, इसका कोई पारदर्शी विवरण इम्तियाज़ हुसैन नहीं दे पाए हैं।
संघ का कोई स्थायी कार्यालय या स्टाफ नहीं है, जबकि फंड का उपयोग प्रशासनिक खर्चों के नाम पर किया गया है।
प्रतियोगिताओं की अनियमितता:
2017 से अब तक कोई भी राज्य स्तरीय फुटबॉल प्रतियोगिता आयोजित नहीं की गई।
प्रतियोगिता आयोजकों से 40,000 रुपये प्रति टूर्नामेंट वसूले जाते हैं। अनुमान है कि राज्य में हर साल लगभग 100 प्रतियोगिताएँ होती हैं, जिससे 4 लाख रुपये प्रति वर्ष की वसूली होती है।
खिलाड़ियों से अवैध वसूली:
कोच लाइसेंस (D-License) के नाम पर प्रति खिलाड़ी 50,000 रुपये वसूले जाते हैं।
यदि हर साल 50 खिलाड़ी पंजीकृत होते हैं, तो यह रकम 25 लाख रुपये प्रति वर्ष बैठती है।
जिला स्तर पर टीम पंजीकरण के नाम पर भी धन वसूला जाता है, लेकिन कोई रसीद नहीं दी जाती।
आरटीआई में गोपनीयता:
दो आरटीआई अपीलों में पूछे गए सवालों के जवाब में संघ ने जानकारी देने से इनकार कर दिया:
38 जिलों के सचिवों के नाम (जो संघ को ज्ञात नहीं हैं)।
2014-2024 तक पंजीकृत खिलाड़ियों की संख्या (जिससे वित्तीय घोटाला उजागर हो सकता है)।
मांग:
बिहार सरकार और भारतीय फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) से इस मामले की तत्काल जाँच की मांग।
इम्तियाज़ हुसैन के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत कार्रवाई।
फुटबॉल संघ के पारदर्शी चुनाव और वित्तीय ऑडिट की आवश्यकता।