क्या है इस नवरात्रि में विशेष और कब कैसे करें दुर्गा की पुजा?
बता रहे हैं पंडित विष्णु शुक्ला
क्या है इस नवरात्रि में विशेष और कब कैसे करें दुर्गा की पुजा |
नवरात्री विशेष 2021
इस नवरात्र मे जगत्जननी जगदंबा डोली में आ रहीं है।शारदीय नवरात्र जिसका इंतजार पूरे साल माता के भक्तों को रहता है वह आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि है। जिस दिन माता अपने दिव्य लोक से पृथ्वी पर आती हैं।
7 अक्टूबर 2021 को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि को माता पृथ्वी पर आएंगी और नवरात्र का आरंभ हो जाएगा। इस वर्ष नवरात्रि का आरंभ गुरुवार से होने जा रहा है और नवरात्रि का समापन शुक्रवार 15 अक्टूबर को होने जा रहा है। ऐसे में इस साल नवरात्रि में 8 दिन की पूजा और नवें दिन विसर्जन का योग बना है क्योंकि चतुर्थी तिथि का क्षय हो गया है।
क्या है माता का वाहन?
नवरात्रि में माता के वाहन का भी बड़ा महत्व रहा है। इस विषय देवीभागवत पुराण में एक श्लोक में बताया गया है-
शशि सूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे च डोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता।।
और आगमन का फल इस प्रकार होता है-
गजे च जलदा देवी छत्र भंगस्तुरंगमे।
नौकायां सर्वसिद्धि स्यात डोलायां मरण ध्रुवम्।।
इस श्लोक से स्पष्ट है कि गुरुवार को नवरात्रि आरंभ होने के कारण इस बार माता डोली में आ रही हैं। डोली में माता का आगमन देश दुनिया और आमजनों के लिए शुभ नहीं माना जाता है। माता के डोली में आगमन से पृथ्वी के कई हिस्सों में बड़ी राजनीतिक हलचल होगी। भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं में जन धन की हानि होने की आशंका रहेगी।
माता के डोली में आगमन से सत्ता में बड़ा उथल-पुथल देखने को मिल सकता है। कई दिग्गज नेताओं की सत्ता जा सकती है। माता के डोली में आगमन से ऐसा भी माना जाता है कि किसी रोग और महामारी का प्रकोप बढ़ सकता है। माता का वहन इस बार शुभ फल की ओर संकेत नहीं दे रहा है ऐसे में रोग, परेशानियों से मुक्ति के लिए नवरात्रि में श्रद्धा भाव से माता की उपासना करें और नियमित कवच, कीलक और अर्गला स्तोत्र का पाठ करके
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्। त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।
इस मंत्र का जप किया करें।
और 15 अक्टूबर शुक्रवार को विजयादशमी के दिन माता का गमन इसबार हाथी पर हो रहा है। भगवती के गमन के लिए ये श्लोक है-
शशि सूर्य दिने यदि सा विजया,महिषागमने रुज शोककरा।
शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।।
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गज वाहन गा शुभ वृष्टिकरा।
सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥
हांथी पर गमन जल, वृष्टि, अन्न धन की प्राप्ति तथा विभिन्न प्रकार के रोग शोक निवारक भी हो सकता है।
इस बार गुरुवार को प्रातः 8:14 तक प्रतिपदा का संयोग अत्यंत शुभद होगा। फिर 8 दिन बाद 15 अक्टूबर शुक्रवार को विजयादशमी सबके लिए शुभद एवं प्रसन्नतादायक होगा। इस बार 8 दिनों तक माँ अम्बे की पूजा-अर्चना होगी, जबकि नौवें दिन शुक्रवार को माँ की विधि-विधान के साथ पूजन कर जयंती ग्रहण कर नवरात्र व्रत का पारण किया जाएगा।
कब कैसे करें नवरात्रि पूजन ?
नवरात्र मे कलशस्थापन के लिए 7/10/2021 गुरुवार को प्रातः 6:15 से प्रातः 7:15 तक या प्रातः 9 बजे से 10:30 तक।
या फिर अभिजीत मुहूर्त- दिन में 11:36 से 12:36 तक शुभ होगा।
महासप्तमी कालरात्रि पूजन, डोली यात्रा, नवपत्रिका प्रवेश, मूर्ति प्राणप्रतिष्ठा एवं पट प्रदर्शन 12/10/2021 मंगलवार को किया जाएगा और महाअष्टमी महानिशा पूजन 13/10/2021 को बुधवार को रात्रि 10:30 से रात्रि 11:41 तक शुभ रहेगा।
महानवमी व्रत दुर्गा नवमी एवं नवरात्र हवन 14/10/2021 गुरुवार को प्रातः से रात्रि 10 बजे तक किया जाएगा।
विजयादशमी, जयंती ग्रहण एवं नवरात्र व्रत का पारण 15/10/2021 शुक्रवार को प्रातः दशमी पूजन, शमी पूजन, जयंती ग्रहण, देवी विसर्जन पूर्वक नवरात्र व्रत का पारण किया जाएगा.
प्रस्तुति:ज्योतिषाचार्य पंडित विष्णु शुक्ला