एक तरफ बिहार सरकार अपने स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर ढ़ोल पिटती है तो वहीं दूसरी तरफ सरकार के दावों की पोल खोलता है ज़मीनी हक़ीक़त।रोहतास जिले के कोचस प्रखंड के कपसियां गाँव में वर्षों से बने प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र डॉक्टरों और नर्सों की राह देखते देखते अब खण्डहर में तब्दील हो चुका है।
![]() |
| (जर्जर प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेन्द्र ) |
आपको बता दें कि कपसियां गांव स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र में वर्षों से कोई डॉक्टर या अन्य स्वास्थ्यकर्मी नहीं आते हैं।पूरा नवनिर्मित भवन अब खंडहर का रूप ले लिया है।खिड़की, दरवाजे सहित तमाम जरूरत की चीजें गायब हो चुकी हैं।ग्रामीण जनता ने बताया कि लोग अब इधर आने से भी डरते हैं।क्योंकि भवन के आसपास काफी झाड़िया उग गई हैं,जिसका फायदा उठाकर असमाजिक तत्वों द्वारा किसी भी अप्रिय घटना का अंजाम दिया जा सकता है।
स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं का लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से यह भवन लाखों रुपये की लागत से बना। लेकिन इसका लाभ स्थानीय लोगों को आज तक नसीब नहीं हुआ। जबकि इस केंद्र के चालू होने से कपसियां पंचायत की करीब 12 हजार की आबादी को फायदा होता।स्वास्थ्य विभाग की इस लापरवाही और उदासीनता के कारण अब लोगों को दस किलोमीटर दूर कोचस प्रखंड मुख्यालय जाकर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लेना पड़ता है।
ग्रामीणों के मुताबिक कपसियां गांव के मध्य विद्यालय से प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र तक पक्की सड़क बनाने के लिए दो लाख इक्कीस हजार की लागत से सन 2013 में मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना के अन्तर्गत शिलान्यास किया गया था।जिसका बाकायदा शिलापट्ट आज भी मौजूद है,लेकिन आज तक पक्की सड़क नहीं बन पाई है।


