इस रात का अहमियत बहुत अधिक है,कहते हैं कि इस रात अल्लाह की रहमत बरसती है, गुनाहों की माफी मांगें जाते हैं।शब-ए-बारात इस्लामिक कैलेंडर में आठवें महीने शाबान की 14 वीं रात को मनाया जाने वाला पर्व है ।अल्लाह ताअला इस रात को बहुत मेहरबान रहते हैं। इस रात को अल्लाह तआला गुनाहगारों को गुनाहों से निजात देता है। यह रात जाग कर इबादत करने वाली रात है। इस रात में कुरआन की तिलावत अधिक से अधिक करने को कहा है। इसी रात को साल भर के हिसाब किताब होते हैं। उलमा ने कहा है कि कब्रिस्तान में कब्र पर फातिहा पर पढ़ें। दुनिया से रुख्सत हो चुके लोगों के लिए मगफिरत के लिए दुआ करें।
शब-ए-बरात पर कब्रिस्तानों में पहुंचकर लोग पुरखों की कब्रों पर रोशनी करने के साथ फातिहा पढ़कर मगफिरत की दुआ मांगते हैं। इसे गुनाहों से छुटकारा पाने की रात भी कहा जाता है। यानि इस पवित्र रात को अल्लाह सभी को उनके पाप के लिए क्षमा कर देते हैं।
Report :- प्रेरणा सुमन
