स्कूल प्रबंधन की वजह से छात्र की सड़क दुर्घटना में मौत,परिजनों ने किया हंगामा-Jansagar News
सासाराम के एक निजी स्कूल प्रबंधन की वजह से आज आठवीं कक्षा के एक छात्र की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई है।
छात्र की सड़क दुर्घटना में मौत |
मिली जानकारी के अनुसार चेनारी थाना क्षेत्र के खैरा वेद गावँ का रहनेवाला छात्र अनिकेत पांडेय उर्फ राजा प्रतिदिन स्कूल के वाहन से सासाराम पढ़ने आता था।तभी आज अचानक सासाराम टॉल प्लाजा के समीप औवां गेट पर वाहन से गिरकर उसकी मौत हो गई है।
मृतक छात्र के पिता का नाम शशिकांत पांडेय उर्फ नन्हे पांडेय बताया जा रहा है।परिजनों के अनुसार सासाराम के संत माइकल स्कूल में छात्र प्रतिदिन पढ़ने आता था।पूर्व में स्कूल द्वारा अपनी बस भेजी जाती थी लेकिन बीते कुछ महीने से स्कूल द्वारा वाहन के नाम पर ऑटो अथवा टेम्पू भेजा जाता था।जिसमें लगभग 25 किलोमीटर की दूरी तय करके बच्चे स्कूल आते थे।
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तभी आज अचानक छात्र अनिकेत टेम्पू हिचकने से औवां गेट के पास जीटी रोड पर छात्र गिर पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई।परिजनों को जैसे ही इस दुर्घटना की खबर मिली,बड़ी संख्या में गावँ के लोग सासाराम की तरफ दौड़े।
परिजनों ने स्कूल पर जाकर हंगामा किया है।लेकिन अबतक स्कूल प्रबंधन का कोई बयान सामने नहीं आया है।इधर परिजनों में आक्रोश व्याप्त है।
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सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश के अनुसार कोई भी स्कूल वाहन के नाम पर ऑटो या टेम्पू बिल्कुल ही इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।
स्कूल वाहन के लिए क्या है सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश?
Supreme Court Guidelines for School Buses
1.स्कूल बस के आगे और पीछे बड़े अक्षरों में स्कूल वाहन लिखा होना चाहिए।
2. अगर बस स्कूल द्वारा भाड़े पर ली गयी है तो उसपर "on स्कूल ड्यूटी" लिखा होना अनिवार्य है।
3. स्कूल बस में प्राथमिक उपचार बॉक्स (फर्स्ट एड बॉक्स) होना चाहिए।
4. स्कूल बस के खिड़की पर ग्रिल लगा होना चाहिए।
5. स्कूल बस पिला रंग का होना चाहिए।
6. स्कूल बस में Fire extinguisher लगा होना चाहिए।
7. बस पर स्कूल का नाम और टेलीफोन नम्बर लिखा होना चाहिए।
8. स्कूल बस के गेट में लॉक लगा होना चाहिए।
9. स्कूल बस 40 किलोमीटर प्रति घण्टा की रफ्तार से अधिक नहीं चलना चाहिए और बस में स्कूल के तरफ से एक स्टाफ होना जरूरी है।
10. अगर छात्रों की उम्र 12 वर्ष से अधिक है तो सीट से ज्यादा छात्र को नहीं बैठाया जाए।
बहरहाल शहर के दर्जनों बड़े विद्यालय भी सुप्रीम कोर्ट के नियमों को ठेंगा दिखाकर सस्ते वाहनों का उपयोग करते हैं।इससे बच्चों की जिंदगी दावँ पर लगी रहती है।
News Desk
Jansagar News
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