बनारस: देश के महान सपूतों के पेंटिंग पर पेशाब कर रहे हैं लोग
चंद्रशेखर आजाद, सुभाषचन्द्र बोस और पण्डित महामना मदन मोहन मालवीय जी,ये वों नाम हैं जिनकी वजह से हम आज आजादी की साँस ले रहे हैं। जिनका नाम सुनते ही हर भारतीय नतमस्तक हो जाता है।
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बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के दिवार बनी पेंटिंग जहाँ लोग करते हैं पेशाब |
बनारस में काशी हिंदू विश्वविद्यालय जैसे संस्थान की चहारदीवारी पर इनके चित्र बने हुए हैं.आसपास कोई पेशाबघर या सार्वजनिक शौचालय न होने के कारण लोग वहाँ उनके पेंटिंग पर या सामने पेशाब कर रहे हैं। यह स्थिति सिर्फ लंका या आस पास की नहीं है,बल्कि पुरे बनारस में दर्जनों जगहों पर यह सिलसिला जारी है.जहाँ लोग बेधड़क इन चित्रों पर सरेआम पेशाब करने से नही डरते हैं.
यह एक ओर लोगों की संवेदनहीनता दर्शाता है तो दूसरी ओर नगर निगम वाराणसी प्रशासन की लापरवाही भी। इस समस्या को लेकर एक सवेंदनशील छात्र प्रतीक त्रिपाठी ने फेसबुक ट्विटर पर गुहार भी लगाई पर उसका कोई असर नहीं हुआ। इस देश के निर्माताओं को तो इस देश में सम्मान मिलना ही चाहिए।
इधर बीते कुछ सालों में यह अक्सर विभिन्न नगरों में देखने को मिला है कि दीवारों पर हमारे देवी देवताओं की तस्वीरों वाली टाइल्स को दीवारों पर सिर्फ़ इसलिए चिपकाया जाता है कि लोग वहाँ पेशाब न करें।यह किस प्रकार हल खोज रहे हैं हम?
देवि देवताओं और देश के वीर सपूतों का इस प्रकार निम्न स्तरीय प्रयोग भारत में हो सकता है यह सोच से परे है।जिस देश में इंसान क्या पत्थर तक की पूजा की जाती है उस देश में यदि यह सब देखना पड़ रहा है इससे ज्यादा निंदनीय कुछ नहीं।
इन सब में सुधार के लिए आम जनता को सवेंदनशील होना पड़ेगा, सड़को पर आँखें खोलकर चलना होगा और इस प्रकार की हर समस्या के लिए मिलकर आवाज उठानी होगी।