बिहार में पंचायत चुनाव टलने पर अफसर देखेंगे काम
राज्य में बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण अब पंचायत चुनाव लंबे समय के लिए टलना तय हो गया है.विदित हो की करीब 22 दिन पूर्व राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रेस बयान जारी कर बताया था की कोरोना को देखते हुए फिलहाल 15 दिनों के लिए पंचायत चुनाव के अधिसूचना को स्थगित किया जाता है.15 दिन के बाद स्थिति की समीक्षा कर निर्णय लिया जाएगा.हालाकि अब 20 दिन से ज्यादा समय बीत गया है लेकिन फिलहाल किसी तरह की अधिकारिक सुचना जारी नहीं की गई है.जानकारों के अनुसार खबरें आ रही हैं की अब पंचायत चुनाव टलना तय है.वर्तमान समय में कोरोना प्रभाव के कारण चुनाव कराया नहीं जा सकता है और एक महीने बाद बरसात शुरू होगी,जिसमें चुनाव संभव नहीं होगा.इधर 15 जून को सूबे के सभी पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा.अब ऐसे में सवाल उठता है की राज्य सरकार के पास इस स्थिति से निपटने के लिए क्या समाधान है.
अधिनियम में संसोधन की चल रही है तैयारी
15 जून के बाद राज्य सरकार पंचायतों की जिम्मेवारी पूरी तरह से अफसरों के हाथ में दे सकती है.अब पंचायत में चल रहे विभिन्न विकास योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी प्रखंड विकास पदाधिकारी(BDO ),उप विकास आयुक्त (DDC) की जिम्मे होगी.
लेकिन इस व्यवस्था के लिए बिहार पंचायती राज अधिनियम 2006 में संसोधन करने की जरुरत पड़ेगी.अधिनियम में संसोधन करने की शक्ति विधानसभा को होती है.फिलहाल विधानसभा का सत्र चल नहीं रहा है.ऐसे में अध्यादेश लाकर अधिनियम में संसोधन किया जा सकता है.फिर विधानसभा सत्र में उसे पारित कराया जाएगा.कुल मिलाकर इसी एक्शन प्लान पर शायद राज्य सरकार काम कर रही है.
कुछ दिनों पहले पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने भी मीडिया के संबोधन में कहा था की कोरोना महामारी में चुनाव करना संभव नहीं है.अब देखना यह है की आखिर राज्य निर्वाचन आयोग इस संबंध में अपना क्या फैसला सुनाता है.
उम्मीदवारों की बढ़ गई बेचैनी
इधर पंचायत चुनाव में हो रही देरी से प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ गई है.तमाम दावेदार लगभग वर्ष के प्रारम्भ से ही अपने अपने क्षेत्र और पंचायत में अपना गोटी सेट करने में लग गए थे.जनसंपर्क से लेकर बाजारों में चाय नास्ते का प्रबंध प्रत्याशियों द्वारा किया गया था.सबको उम्मीद थी की पंचायत चुनाव अप्रैल मई में सम्पन्न हो जाएगा,लेकिन पहले ई वी एम् विवाद में मामला फंसा रहा उसके बाद कोरोना में फंस गया.
एक जिला परिषद प्रत्याशी ने बताया की मैं जनवरी से ही अपने क्षेत्र में भ्रमण कर रहा हूँ,अच्छा माहौल बना था लेकिन सरकार ने गलत निर्णय ले लिया.
शिवसागर प्रखंड के एक निवर्तमान मुखिया ने बताया की अगर चुनाव समय पर होगा तो विकास कार्य रुकेगी नहीं,तमाम योजनायें पंचायत प्रतिनिधियों के हाथ में रहेगी.इस देरी से पंचायतों का विकास कार्य अधुरा फंसा रहेगा.
बहरहाल अगर सरकार ने वहीँ किया जिसका अंदाजा लगाया जा रहा है तो अब नवंबर से पहले चुनाव कराना संभव नहीं होगा.ऐसे में इसबार प्रत्याशियों का अघोषित चुनावी खर्च दोगुना से भी ज्यादा जाएगा.