मंगल पांडेय भारतीय महानायकों में एक स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने 1857 में भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वो ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल इंफेन्ट्री के सिपाही थे। तत्कालीन अंग्रेजी शासन ने उन्हें बागी करार दिया जबकि आम हिंदुस्तानी उन्हें आजादी की लड़ाई के नायक के रूप में सम्मान देता है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को लेकर भारत सरकार द्वारा उनके सम्मान में सन् 1984 में एक डाक टिकट जारी किया गया।
मंगल पाण्डेय का जन्म भारतवर्ष में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा नामक गांव में 30 जनवरी 1831 को एक ब्राह्मण" परिवार में हुआ था।इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे था। "ब्राह्मण" होने के बाद भी मंगल पाण्डेय सन् 1849 में 22 साल की उम्र में अंग्रेजो की सेना में शामिल हो गए।1857 में इन्होंने ही पहली स्वतंत्रता की लड़ाई की बिगुल फूंकी थी ।
पुण्यतिथि
आज 8अप्रैल उनकी बलिदान दिवस पर पूरा देश उनकी बहादुरी का गुणगान कर रहा है ।6 अप्रैल 1857 को फैसला हुआ की 18 अप्रैल को उन्हें फांसी दी जाएगी। लेकिन ब्रिटिश अफसर को इस कदर मंगल पाण्डेय का डर बैठ गया था, वे उनको जल्द से जल्द ख़त्म कर देना चाहते थे। इसलिए उन्होंने 18 की जगह 10 दिन पहले 8 अप्रैल को ही मंगल पाण्डेय को फांसी पर लटका दिया ।