सूर्य का मकर राशि में प्रवेश का महत्व.इस वर्ष मकर संक्रांति पर जरूर जाने यह महत्वपूर्ण बातें।
Makar Sankranti 2022 |
क्या है मकर संक्रांति पर्व? What is Makar Sankranti ?
हिंदूओं के पवित्र पर्व में से एक पर्व हैं मकर संक्रांति। यह पर्व है जीत का, खुशी का, नयी उमंग का। हिंदू मान्यताओं के अनुसार पौष मास के इस दिन को सूर्य देव अपनी धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं । भारत के प्रत्येक राज्य में इस पर्व को अलग नाम और विधि से मनाया जाता हैं।
आज के दिन गंगा स्नान,कथा,व्रत और दान जैसे कार्यों को बहुत ही शुभ माना जाता हैं। आज के दिन की मान्यता हैं कि सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलते हैं। मकर संक्रांति को बहुत जगह उत्तरायण भी कहा जाता हैं । अगर देखा जाए तो इस त्योहार के दिन नयी शुरुआत होती हैं। किसान अपने फसल की कटाई की शुरुआत करता हैं। परिवार और समाज में नयी रश्मों को शुरू किया जाता हैं।
इस दिन लोग तिल और गुड का लड्डू बनाते हैं। बहुत सारे जगहों पर आज के दिन पतंग भी उड़ाने की परम्परा है। भारत में ही नहीं विश्व के दूसरे देश जैसे बांग्लादेश,नेपाल,थायलैंड,लाओस,म्यांमार,कम्बोडिया,श्रीलंका में भी इस त्योहार को बहुत ही उमंग से मनाते हैं। भारत का यह एक ऐसा पर्व हैं जिसको अलग अलग रूप में मनाया जाता हैं। असम में इस पर्व को बीहू के नाम से जाना जाता है,दक्षिण भारत में पोंगल,गुजरात+महाराष्ट्र में उत्तरायणी, पंजाब में एक दिन पहले इसको लोहड़ी के नाम से मनाते हैं, बिहार में खिचड़ी भी बोलते हैं।
मकर संक्रांति का महत्व. Importance of Makar Sankranti
माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।
स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥
भारत के लोग आज के दिन गंगा स्नान करते हैं और बहुत लोग गंगा किनारे दान भी करते हैं। पुराणों में ये भी वर्णित हैं कि आज के ही दिन माँ गंगा भागीरथी के पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम तक पहुँची फिर अपने आप को सागर में समा दिया। आज के दिन श्रद्धालु प्रयाग और गंगा सागर में स्नान करते हैं। आज के स्नान को महास्नान भी बोला गया हैं। सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं लेकिन कर्क और मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश अत्यंत फलदायक होता हैं। भारतीय दृष्टि से सभी तिथियाँ चंद्रमा की गति को आधार मानकर तय की जाती है, लेकिन मकर संक्रांति को सूर्य की गति से निर्धारित की जाती हैं।
बिहार में मकर संक्रांति का महत्व. Importance of Makar Sankranti in Bihar
बिहार में मकर संक्रांति को खिचड़ी भी बोलते हैं। बिहारियों में इस पर्व का अलग ही उत्साह दिखता हैं। वैसे तो इस त्योहार से नयी शुरुआत होती है। इस दिन से किए गए सभी कार्य को शुभ माना जाता हैं। यह खुशी का पर्व हैं। नयी शुरुआत का पर्व हैं। बिहार के लोग इस पर्व को अपनी श्रद्धा के अनुसार मनाते हैं। बहुत से लोग गंगा स्नान के लिए प्रयाग जाते हैं और अपने आप को शुद्ध कर के अपने कार्यों को सम्पन्न करते हैं। इस दिन बिहार में तिलकुट का प्रचलन बहुत ज़्यादा हो जाता हैं। तिल से बना तिलकुट बिहार के गया ज़िले का एक मशहूर मिष्ठान हैं। घरो में लोग सुबह स्नान कर के तिल, चावल, गुड इत्यादि को छूकर अपने अराध्य को भोग लगा कर अन्न-जल ग्रहण करते हैं। इस दिन को किया गया दान महादान कहलाता हैं। इस दिन लोग दहि,दूध,चूड़ा,तिलकुट,गुड,तिलवा खाते हैं। बिहार में इस समय तिलवा का भी अलग ही महत्व हैं। आज तिलवा दूसरे परदेशों में भी मिलने लगा हैं लेकिन बिहार में तिलवा का अलग ही महत्व हैं। आज के दिन खिचड़ी बना कर खाने का भी प्रचलन हैं और इसी से इसको खिचड़ी भी कहते हैं।
मकर संक्रांति की शुरुआत एक नयी उमंग से होती है। यह जीवन में एक नयी प्रकाश लेकर आता हैं। जीवन को नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर ले जाने का प्रतीक पर्व हैं।
(लेखक:- डॉ.अमित कुमार सिंह, सहायक प्राध्यापक,पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग,गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय जमुहार,रोहतास,बिहार)
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